President Emergency Powers | राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियां Part – 2
राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियां
(Emergency Powers of the President)
अब तक हमने राष्ट्रपति को प्राप्त एक महत्वपूर्ण आपातकालीन शक्ति के बारे में पढ़ा है। आज हम राष्ट्रपति (President) की दो अन्य आपातकालीन शक्तियों के बारे में जानकारी हासिल करेंगे। तो आइये जानते है राष्ट्रपति की दो अन्य महत्वपूर्ण शक्तियों के बारे में।
Constitutional Emergency (संवैधानिक आपातकाल)
भारतीय संविधान के द्वारा केंद्र सरकार को यह कार्य सौंपा गया है कि वह इस बात की पूरी जानकारी रखें कि राज्य में शासन व्यवस्था केंद्र द्वारा बनाए गए नियमों के अनुसार ही चल रही है या नहीं। केंद्र द्वारा पूर्ण रूप से राज्य पर नियंत्रण रखा जाता है तथा देखा जाता है कि राज्य की शासन व्यवस्था में किसी प्रकार की गड़बड़ी ना हो।
परंतु भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 के अनुसार यदि राष्ट्रपति को राज्यपाल द्वारा यह सूचित किया जाए या फिर राष्ट्रपति को स्वयं भी यह आभास हो जाए कि भारत के किसी राज्य में शासन व्यवस्था सुचारू रूप से नहीं चल पा रही है अर्थात केंद्र द्वारा बनाई गई व्यवस्थाओं के अनुसार राज्य में शासन कर पाना मुश्किल हो रहा है या केंद्र द्वारा उस पर नियंत्रण नहीं हो पा रहा है तो ऐसे में राष्ट्रपति (President) आपातकाल की घोषणा कर सकता है।
राष्ट्रपति द्वारा संकटकाल की घोषणा हो जाने के बाद उस राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो जाता है और वहां के सभी शासन राष्ट्रपति द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चलाए जाते हैं। संसद के द्वारा एक बार मैं 6 माह के लिए राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है परंतु इसके लिए संसद द्वारा प्रस्ताव पारित करना आवश्यक होता है। पहले व्यवस्था थी कि राज्यों में राष्ट्रपति शासन एक बार में 3 वर्ष के लिए प्रस्ताव पारित कर लगाई जाती थी परंतु 44वें संविधान संशोधन द्वारा व्यवस्था बदल दी गई है
अब राज्य में राष्ट्रपति शासन 1 वर्ष के लिए लगाई जा सकती है तथा इसे बढ़ाने के लिए संसद द्वारा विशेष बहुमत द्वारा प्रस्ताव पारित कर इसे बढ़ाया जा सकता है। साथ ही व्यवस्था यह भी है कि 3 वर्ष से अधिक समय के लिए राष्ट्रपति शासन नहीं लागू किया जा सकता।
राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने पर राष्ट्रपति द्वारा या निर्धारित किया जा सकता है कि राज्य में शासन व्यवस्था किसके द्वारा बनाई जाएगी अर्थात राष्ट्रपति या निर्धारित करता है कि शासन व्यवस्था राज्य द्वारा बनाई जाएगी या केंद्र द्वारा।
Effect (प्रभाव)
इस संकट काल के उत्पन्न होने पर हमें मौलिक अधिकारों पर कई प्रकार के प्रभाव देखने को मिलते हैं हालांकि यह प्रभाव भी ठीक वही है जो राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान लगाए जाते हैं अर्थात राज्य में राष्ट्रपति शासन (Presidential Rule) लागू होने की स्थिति में संविधान के अनुसार अनुच्छेद 19 में दिए गए सभी मौलिक अधिकारों को स्थगित किया जा सकता है।
अर्थात उन पर रोक लगाई जा सकती है इसके साथ ही अनुच्छेद 32 में दिए गए मौलिक अधिकार यानी संवैधानिक उपचारों का अधिकार जिसके अंतर्गत नागरिक अपने मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए न्यायालय की शरण लेते हैं को भी स्थगित किया जा सकता है।
State of Constitutional Emergency (संवैधानिक आपातकाल की स्थिति)
संविधान लागू होने के बाद से अब तक कई राज्यों में राष्ट्रपति शासन लागू की जा चुके हैं जैसे:- 20 जून 1951 में पंजाब में सबसे पहले राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था। अब तक पंजाब में लगभग 8 से 9 बार राष्ट्रपति शासन लागू किया जा चुका है।
इसके साथ ही असम और जम्मू कश्मीर में भी राष्ट्रपति शासन लागू किए जा चुके हैं जो कि लंबे समय के लिए लगाए गए थे। 2016 में तीन राज्यों अरुणाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर और उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था।
Financial Emergency of President (वित्तीय आपातकाल)
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 360 में की गई व्यवस्था के अनुसार जब राष्ट्रपति को पूर्ण रुप से विश्वास हो जाए कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिससे कि भारत के वित्तीय स्थायित्व को खतरा है तो ऐसे में राष्ट्रपति (President) संकटकाल की घोषणा कर सकता है।
वित्तीय संकट लागू होने के बाद यह आवश्यक है कि 1 माह के अंदर संसद द्वारा इसे स्वीकृत करा लिया जाए। यह वित्तीय संकट एक बार में 6 माह की अवधि के लिए लागू किया जा सकता है 6 माह बाद संसद द्वारा विशेष बहुमत के द्वारा इसकी अवधि को बढ़ाए जा सकते हैं।
वित्तीय संकट काल की अवधि में राष्ट्रपति संघ सरकार तथा राज्य सरकार के अधिकारियों के वेतन में कमी भी कर सकता है इसके साथ ही वह राज्य के न्यायाधीशों के वेतनो में भी कमी कर सकता है। राष्ट्रपति किसी भी वित्त विधेयक के पारित होने से पहले अपने पास स्वीकृति के लिए भेजने को राज्य सरकार को बाध्य कर सकते हैं।इसके साथ ही राष्ट्रपति राज्य और संघ के बीच धन से संबंधित होने वाले बंटवारे में भी परिवर्तन कर सकते हैं। अब तक वित्तीय संकटकाल के अवसर देखने को नहीं मिले हैं।
तो दोस्तों आज हमने राष्ट्रपति की शक्तियों के बारे में जाना है। हमने राष्ट्रपति (President) की दोनों महत्वपूर्ण शक्तियों यानी सामान्य कालीन शक्तियों और संकटकालीन शक्तियों के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर ली है। अब आगे हम राजनीती से संबंधित और भी विषयो के बारे में जानेंगे। आप अपनी तैयारी करते रहिये हम आपके लिए ऐसे ही study से related post लाते रहेंगे और आपका साथ देते रहेंगे।
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