Fundamental Rights part 4 Right to Religious Freedom

Right to Religious Freedom | धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार

धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार

(Right to Religious Freedom)

आज हम मौलिक अधिकार के एक और महत्वपूर्ण अधिकार धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (Right to Religious Freedom) के बारे में पढ़ने वाले हैं। यह अधिकार बहुत ही महत्वपूर्ण अधिकार है क्योंकि इसके द्वारा सभी नागरिकों को सामान्य रूप से धार्मिक आचरण करने की स्वतंत्रता दी गई है। तो चलिए जानते हैं धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार (Right to Religious Freedom) के बारे में।

 

धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (Right to Religious Freedom)

हम सब जानते हैं कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है अर्थात यहां सभी धर्मों को समान रूप से मान्यता प्रदान की गई है। किसी के साथ भी धार्मिक मामले को लेकर कोई भी जबरदस्ती नहीं की जाती है सभी को अपनी इच्छा से कोई भी धर्म अपना लेने और धार्मिक आचरण करने की स्वतंत्रता प्रदान की गई है।

लोगों में धार्मिक मामले को लेकर किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जा सकता तथा उन्हें अपनी इच्छा के अनुसार किसी भी धर्म को अपना लेने की भी स्वतंत्रता प्रदान की गई है।

व्यक्ति चाहे भारतीय नागरिक हो या विदेशी सभी को समान रूप से धार्मिक आचरण करने और किसी भी धर्म को अपना लेने की स्वतंत्रता प्रदान की गई है। भारत के प्रत्येक नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (Right to Religious Freedom) प्रदान किया गया।

धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार (Right to Religious Freedom) का उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 25 से 28 तक किया गया। यह अधिकार भारतीय नागरिकों और भारत में निवास करने वाले विदेशी नागरिकों को भी प्रदान किया गया है।

इस स्वतंत्रता का उल्लेख बहुत ही अधिक व्यापक रूप से और बहुत ही सावधानी के साथ तैयार किया गया है इसे धार्मिक अल्पसंख्यकों की संतुष्टि के बारे में विचार करके तैयार किया गया है।

इस अधिकार के अंतर्गत नागरिकों को निम्न प्रकार की स्वतंत्रता दी गई है –

1. धार्मिक आचरण और प्रचार की स्वतंत्रता (Freedom of Religious Practice and Propaganda)
2. धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता (Freedom to Manage Religious Affairs)
3. धार्मिक कार्यों में वह की जाने वाली राशि कर से मुक्त (Amount Spent on Religious Works Exempted from Tax)
4. शिक्षण संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा प्राप्त करने की स्वतंत्रता (Freedom to Receive Religious Instruction in Educational Institutions)

 

Freedom of Religious Practice and Propaganda (धार्मिक आचरण और प्रचार की स्वतंत्रता)

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 के द्वारा भारत के सभी नागरिकों और विदेशी नागरिकों को धार्मिक आचरण और प्रचार की स्वतंत्रता प्रदान की गई है।

अनुच्छेद 25 के द्वारा व्यवस्था की गई है कि मंदिरों और अन्य सार्वजनिक धार्मिक स्थलों पर हिंदू समाज के सभी वर्गों को सामान्य रूप से प्रवेश का अधिकार दिया जाएगा। किसी भी हिंदू वर्ग के लोगों को मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों पर प्रवेश से रोका नहीं जाएगा।

सिखों द्वारा कृपाण धारण करना धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्गत ही आता है। इसके साथ ही वर्तमान समय में भारत में धर्म परिवर्तन की जो घटना चल रही है उससे धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार एक महत्वपूर्ण विवाद का विषय बन गया है।

लेकिन इस संबंध में कानूनी स्थिति यह है कि अपनी इच्छा से किया गया धर्म परिवर्तन धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्गत आता है अतः किसी व्यक्ति को अपनी इच्छा से धर्म परिवर्तन करने से नहीं रोका जा सकता यह उसके अधिकार के अंतर्गत आता है।

 

Freedom to Manage Religious Affairs (धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता)

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 26 के द्वारा सभी नागरिकों को धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान किया गया है इसके अंतर्गत नागरिकों को विभिन्न प्रकार के अधिकार दिए गए हैं –

1. सभी व्यक्ति धार्मिक और अच्छे कार्यों के लिए संस्थाएं बना सकते हैं और स्वयं उसका संचालन भी कर सकते हैं।

2. अपने धार्मिक मामलों का प्रबंधन स्वयं कर सकते हैं

3. धार्मिक संस्थाओं की संपत्ति का प्रबंधन राज्य के कानूनों के अनुसार कर सकते हैं।

 

Amount Spent on Religious Works Exempted from Tax (धार्मिक कार्यों में वह की जाने वाली राशि कर से मुक्त)

अनुच्छेद 27 के अंतर्गत यह व्यवस्था की गई है कि ऐसी समस्त आय को कर से मुक्त रखा जाएगा जिसे की धार्मिक कार्यों में खर्च किया जाना निश्चित किया गया हो।

 

Freedom to Receive Religious Instruction in Educational Institutions (शिक्षण संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा प्राप्त करने की स्वतंत्रता)

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 28 के द्वारा व्यवस्था की गई है कि राज्य की निधि से चलने वाली शिक्षण संस्थाओं में किसी भी प्रकार की धार्मिक शिक्षाएं नहीं प्रदान की जाएगी

इसके साथ ही यह भी व्यवस्था है कि राज्य द्वारा मान्यता प्राप्त या आर्थिक सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं में किसी भी व्यक्ति को किसी विशेष धर्म की शिक्षा प्राप्त करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

इन सभी अधिकारों के बावजूद भी अन्य अधिकारों की तरह धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार भी असीमित नहीं है। राज्य सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने, नैतिकता, स्वास्थ्य आदि के हित को लेकर इन अधिकारों पर प्रतिबंध लगा सकती है।

इसके साथ ही सामाजिक, आर्थिक और सार्वजनिक हित को देखते हुए भी राज्य धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप कर सकती है। वह धार्मिक मामलों में सुधार संबंधी कार्य भी कर सकती है। इस प्रकार राज्य द्वारा सार्वजनिक हित को ध्यान में रखते हुए ही धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार की व्यवस्था की गई है।

तो आज हमने एक और महत्वपूर्ण मौलिक अधिकार के बारे में पढ़ा अब आगे हम अन्य 2 मौलिक अधिकारों के बारे में पढ़ेंगे। तब तक आप अपनी तैयारी करते रहिए हम आपके लिए ऐसे ही study से related post लाते रहेंगे।

 

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