Indus Valley Civilization (सिंधु घाटी सभ्यता ) Part 4 – प्रमुख स्थल एवं पतन
सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल एवं पतन
सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल
हड़प्पा
अवस्थिति:- पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित (रावी नदी का किनारा)
खोज:- रायबहादुर दयाराम साहनी (1921)
साक्ष्य:- श्रमिक आवास, कब्रिस्तान (R-37 Cemetery), शंख का बना बैल, तांबे की पांच कटार, कंघा, तांबे का पैमाना, गधे की हड्डियां, मातृदेवी की मूर्ति, 23 मुद्राएं, लंबे सींग वाले हिरण तथा बारहसिंघा, तांबे की इक्का गाड़ी।
मोहनजोदड़ो
अवस्थिति:- पाकिस्तान के सिंध प्रांत के लरकाना जिले में स्थित (सिंधु नदी का दाहिना तट)
खोज:- राखालदास बनर्जी (1922)
साक्ष्य:- सभ्यता के 7 क्रमिक स्तर, द्यान कोठरी (अन्ना गार), सभागार, महाविद्यालय, कांसे के नर्तकी की मूर्ति, योगी की मूर्ति, मुद्रा पर अंकित शिव की मूर्ति, मोहर पर नाव की आकृति, कुबड़ दार बैल का खिलौना, विशाल स्नानागार, बेल्ट।
चन्हूदड़ो
अवस्थिति:- पाकिस्तान का सिंध प्रांत (सिंधु नदी)
खोज:- एन. जी मजूमदार (1931)
साक्ष्य:- कांसा का खिलौना, मनके बनाने का कारखाना, वक्राकार ईट, काजल, कंघा, बिल्ली का पीछा करते हुए कुत्ते का पदचिन्ह, लिपिस्टिक।
कालीबंगा
अवस्थिति:- राजस्थान का हनुमानगढ़ जिला (घग्गर नदी)
खोज:- अमलानंद घोष 1952
साक्ष्य:- दुर्ग एवं निकला शहर में विभाजित, भूकंप के साक्ष्य (विश्व में प्राचीनतम), एक बालक की खोपड़ी में छ: छिद्र का निशान (शल्य चिकित्सा का प्राचीनतम साक्ष्य), ऊंट की हड्डियां, कच्चे मकान, एक पल्ले वाला कपाट, चना और सरसों का एक साथ बाए जाने का साक्ष्य।
लोथल
अवस्थिति:- गुजरात का अहमदाबाद (भोगवा नदी)
खोज:- रंगनाथ राव (1954)
साक्ष्य:- मनका, तांबे तथा सोने के दाने, सेलखड़ी की 4 मुहावरे, डाकयार्ड, दिशामापक यंत्र, चालाक लोमड़ी की कथा की आकृति (विष्णु शर्मा), वृत्ताकार अग्नि वेदिका, युग्मित शवाधान, हाथी दांत का पैमाना, रंगाई कुण्ड, चावल व धान के प्रमाण, वृत्ताकार चक्की के दो पाटे, फारस की मुहर व पुल का निर्माण।
सूतकांगेडोर
अवस्थिति:- दक्षिण बलूचिस्तान (पाकिस्तान), दास्क नदी
खोज:- आर. एल.स्टाइन (1927)
साक्ष्य:- तांबे का बाण (तीर), तांबे का ब्लेड, मिट्टी से बनी चूड़ियां, राख से भरा बर्तन, व्यापारिक चौकी, तांबे की बनी हुई कुल्हाड़ी।
रोपड़
अवस्थिति:- पंजाब (सतलुज नदी के किनारे)
खोज:- यज्ञदत्त शर्मा (1955- 56)
साक्ष्य:- मानव के साथ कुत्ते का दफनाया जाना।
राखीगढ़
अवस्थिति:- हरियाणा का हिसार जिला (सरस्वती एवं दृषद्वती नदी)
खोज:- अमरेंद्र नाथ (1963)
साक्ष्य:- दुर्ग प्राचीर, अन्नागार, अस्तंभ युक्त मंडप, भारत में सभ्यता का सबसे बड़ा स्थल, चबूतरे पर बनी अग्नि वेदिका, प्राक् हड़प्पा एवं परिपक्व हड़प्पा के साक्ष्य।
आलमगीरपुर
अवस्थिति:- मेरठ (हिंडन नदी का नया तट)
खोज:- भारत समाज सेवक 1958
साक्ष्य:- मिट्टी के बर्तन, रोटी बनाने की चौकी।
धौलावीरा
अवस्थिति:- कच्छ, गुजरात
खोज:- बी.बी. लाल (1959)
साक्ष्य:- खेल का मैदान, सबसे बड़ा अभिलेख, पत्थर की बनी नेवले की मूर्ति, तीन भागों में विभक्त एकमात्र शहर।
नोट:- धौलावीरा को यूनेस्को ने अपनी सूची में 2021 में शामिल किया है जिसमें इसे 40वां स्थान प्राप्त है।
बनावली/बनवाली
अवस्थिति:- हरियाणा का हिसार जिला (रंगोली नदी)
खोज:- रबिंद्र सिंह बिष्ट (1974)
साक्ष्य:- मिट्टी से बना हल की आकृति वाला खिलौना, सरसों का ढेर, तांबे का वाणाग्र, चाट के फलक, सेलखड़ी की मुहरे, अग्नि वेदिका।
सिंधु घाटी सभ्यता का पतन
● हड़प्पा सभ्यता के पतन के साक्ष्य लगभग 1800 ईसा पूर्व से प्राप्त हुए हैं उनके पतन के यह साक्ष्य सर्वप्रथम चौलिस्तान जैसे क्षेत्रों से प्राप्त हुए हैं। जबकि गुजरात, हरियाणा तथा पश्चिम उत्तर प्रदेश की ओर नई आबादी के बसने के बारे में तथा बस्तियों में जनसंख्या के बढ़ने के साक्ष्य प्राप्त हुए है।
● अनेक विद्वान मानते हैं कि हड़प्पा सभ्यता के पतन का मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन, वनों का विनाश, विनाशकारी बाढ़, नदियों का सूखना व नदियों के मार्ग का बदलना था। परंतु यह सभी कारक केवल कुछ ही नगरीय केंद्रों के विनाश की व्याख्या कर पाते हैं समस्त सभ्यता के विनाश की नहीं।
● सभ्यता के पतन का तार्किक कारण केंद्रकृत हड़प्पा राज्य का पतन होना प्रतीत होता है। उत्तर हड़प्पा स्थलों से मोहरों का न मिलना, लिपि व विशिष्ट मनकों का अभाव, माप तौल की एकीकृत प्रणाली कर लोप व नगरों का पतन इसकी पुष्टि करते हैं।
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