Indus Valley Civilization Part 1

Indus Valley Civilization (सिंधु घाटी सभ्यता ) Important Points – Part 1

Indus Valley Civilization (सिंधु घाटी सभ्यता)

इंडस वैली सिविलाइजेशन या हड़प्पा सभ्यता के बारे में आपको शायद नहीं पता होगा लेकिन आज मैं आपको सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में बिल्कुल आसान भाषा में समझाने वाला हूं तो चलिए समझ लेते हैं इंडस वैली सिविलाइजेशन से जुड़े महत्वपूर्ण बातों को –

  • Carbon-14 पद्धति के अनुसार सिंधु घाटी सभ्यता का कार्यकाल लगभग 2350 ईसा पूर्व से 1750 ईसा पूर्व माना जाता है। जबकि कुछ किताबों में समान रूप से इसे 2600 ईसा पूर्व से 1900 ईसा पूर्व माना गया है।
  • कार्बन डेटिंग पद्धति की खोज वी०एफ० लिवि ने 1946 में की थी। वह अमेरिका के प्रसिद्ध रसायन शास्त्री थे।
  • हड़प्पा सभ्यता सभ्यता आद्य ऐतिहासिक अथवा कांस्य युगीन सभ्यता थी। इस सभ्यता के निवासी द्रविड़ माने जाते हैं और सिंधु सभ्यता एक त्रिभुज कार सभ्यता थी।
  • सिंधु घाटी सभ्यता में खोजा गया पहला शहर हड़प्पा था परंतु सबसे महत्वपूर्ण शहर मोहनजोदड़ो को माना जाता है।
  • हड़प्पा सभ्यता की खोज 1921 में रायबहादुर दयाराम साहनी ने की थी और यह सभ्यता रावी नदी के तट पर स्थित है।
  • सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में जानकारी सर्वप्रथम हड़प्पा नामक स्थान से प्राप्त हुए इसी लिए सिंधु घाटी सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है।
  • 1924 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India) के डायरेक्टर जनरल जॉन मार्शल ने पूरे विश्व के सामने सिंधु घाटी सभ्यता में एक नवीन सभ्यता की घोषणा की थी। उन्होंने इस सभ्यता को एक नगरी सभ्यता माना।
  • हड़प्पा सभ्यता को कांस्य युग की सभ्यता माना जाता है और इस सभ्यता को कांस्य युग की सभ्यता इसलिए माना जाता है क्योंकि हड़प्पा सभ्यता में ही कांसा धातु का ज्यादातर इस्तेमाल होता था तथा हड़प्पा के उत्खनन से सर्वाधिक वस्तुएं कांसा धातु की बनी हुई ही प्राप्त हुई हैं।
  • हड़प्पा सभ्यता का विस्तार 3 देशों में भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान तक विस्तृत है। ये सभ्यता उत्तर से दक्षिण तक 1400 किलोमीटर तथा पूरब से पश्चिम में 1600 किलोमीटर तक फैली हुई है।
  • इस सभ्यता की लिपि कीलाक्षर लिपि है जिसे अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है। यह लिपि दाई से बाई ओर लिखी जाती है। इस सभ्यता की लिपि को पढ़ने का प्रयास सर्वप्रथम वेडेन महोदय ने किया था
  • हड़प्पा सभ्यता के बारे में हमें जानकारी उस समय के मोहरों, मनको, बाटो, पत्थर के फलको और सेलखड़ी नामक पत्थर से प्राप्त होती है।
  • मोहनजोदड़ो की खोज राखलदास बनर्जी ने 1922 ईस्वी में की थी। वर्तमान में यह पाकिस्तान के सिंध प्रांत के लरकाना जिले में स्थित है।
  • सिंधु घाटी सभ्यता में छह प्रमुख तथा बड़े नगर थे। ये नगर इस प्रकार है मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, राखीगढ़ी, धौलावीरा, कालीबंगा और लोथल है।
  • धौलावीरा को यूनेस्को ने अपनी सूची में शामिल किया है जिसमें उसे 40वां स्थान प्राप्त है।
  • सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे बड़ा स्थल मोहनजोदड़ो है। मोहनजोदड़ो का अर्थ ‘मृतकों का टीला’ होता है ।
  • मोहनजोदड़ो से एक विशाल स्नानागार प्राप्त हुआ है जो कि 88 मीटर लंबा, 7.01 मीटर चौड़ा तथा 2.43 मीटर गहरा है। इसमें जल सतह तक सीढ़ियां, चारों और बरामदे, गलीयारे तथा कमरे बने हुए हैं। किनारे की दीवारें इतनी मजबूत हैं कि लगभग 5000 वर्ष का समय भी इन्हें नहीं हिला पाया है।
  • भारत में इस सभ्यता का सबसे बड़े स्थल राखीगढ़ी है जो कि हरियाणा के हिसार जिले में स्थित है। इसकी खोज अमरेंद्र नाथ ने 1997-2000 के बीच की थी।
  • मोहनजोदड़ो से कांसा कि नर्तकी की मूर्ति प्राप्त हुई है। इसके साथ ही एक योगी की मूर्ति, मुहर पर नाव की आकृति, विशाल स्नानागार, सभागार तथा सभ्यता के सात क्रमिक स्तर भी प्राप्त हुए है।
  • लोथल गुजरात के अहमदाबाद में स्थित है। जिस प्रकार मोहनजोदड़ो का अर्थ है ‘मृतकों का टीला’ है उसी प्रकार लोथल को भी ‘मुर्दों का टीला’ कहा जाता है।
  • लोथल की खोज रंगनाथ राव ने 1954 में की थी। लोथल भारत के सबसे पुराना बंदरगाह शहर है। हड़प्पा सभ्यता में बंदरगाह के साक्ष्य लोथल से ही प्राप्त होते हैं।
  • इसके साथ ही लोथल से फारस की मुहर, युग्मित शवाधान, हाथी दांत का पैमाना, चावल एवं धान के प्रमाण, सेलखड़ी के 4 मुहावरे तथा डॉकयार्ड आदि भी प्राप्त हुए हैं।
  • मनके बनाने का कारखाना लोथल तथा चन्हूदड़ो दोनों ही जगहों से प्राप्त हुआ है।
  • सिंधु घाटी सभ्यता में कालीबंगा का भी महत्वपूर्ण स्थान है। इसकी खोज अमलानंद घोष ने 1952 में की थी। यह राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में स्थित है।
  • कालीबंगा का अर्थ ‘काले रंग की चूड़ी’ होता है। कालीबंगा से भी सिंधु घाटी सभ्यता के बहुत सारे साक्ष्य प्राप्त हुए हैं जिसमें दुर्ग एवं निकला शहर का विभाजन, भूकंप के साक्ष्य, शल्य चिकित्सा के साक्ष्य, ऊंट की हड्डिया तथा चना एवं सरसों का एक साथ बोए जाने के भी साक्ष्य प्राप्त हुआ है।
  • कालीबंगा से सर्वप्रथम जुते हुए खेत के साक्ष्य भी प्राप्त हुए हैं इसके साथ ही कालीबंगा से नक्काशीदार इटे भी पाए गए हैं।
  • अग्नि कुंड के साक्ष्य लोथल तथा कालीबंगा दोनों ही जगह से प्राप्त हुए हैं।

आगे हम सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में और भी ज्यादा जानेंगे। इसलिए आप वापस से जरूर Study Time पर आइएगा ताकि हम सब और अच्छी तरह से इस सभ्यता को जान सके।