![Indus Valley Civilization Part 2 - Arthik Jeevan](https://study.try4steps.com/wp-content/uploads/2022/04/Indus-Valley-Civilization-Part-2-Arthik-Jeevan.png)
Indus Valley Civilization (सिंधु घाटी सभ्यता ) Part 2 – आर्थिक जीवन
सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों का आर्थिक जीवन
अगर हम हड़प्पा सभ्यता के आर्थिक जीवन के बारे में बात करें तो हड़प्पा सभ्यता में जीवन निर्वाह के लिए जिन तरीकों का प्रयोग किया जाता था उन्हें कृषि एवं पशुपालन प्रमुख रूप से हैं।
कृषि [Agriculture]
● हड़प्पा सभ्यता का मुख्य व्यवसाय कृषि था। उत्खनन के दौरान हड़प्पाई स्थलों से गेहूं, जौ, धान, चावल, दाल, सफेद चना, मटर तथा सरसों आदि के साक्ष्य प्राप्त हुए है जिससे पता चलता है कि हड़प्पा सभ्यता के लोग कृषि करते थे।
● इस सभ्यता से प्राप्त मुहरों के आधार पर यह स्पष्ट होता है कि हड़प्पा सभ्यता के लोग खेत जोतने के लिए बैलों के इस्तेमाल करते थे जो कि कृषि प्रौद्योगिकी और पशुपालन का उदाहरण प्रस्तुत करता है। इसके साथ है मिट्टी के हाल का प्रतिरूप भी प्राप्त हुआ है। कालीबंगा से जूते हुए खेत का साक्ष्य प्राप्त हुआ है जिसकी हल रेखाएं एक दूसरे को समकोण पर काटती है जो कि एक स्थान पर दो तरह की फसल उगाई जाने का संकेत देती है।
● हड़प्पा सभ्यता के अधिकांश स्थल ऐसे क्षेत्रों मैं स्थित है जहां पर कृषि के लिए सिंचाई की सुविधा उपलब्ध थी तथा हड़प्पा सभ्यता में वर्षा के कारण कृषि अच्छी भी होती थी।
पशुपालन [Animal Husbandry]
● हड़प्पा सभ्यता के उत्खनन से जो अस्थि- पंजर प्राप्त हुए हैं उसे देखकर ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि हड़प्पा सभ्यता के निवासी भेड़, बकरी, भैंस, कुत्ता, सांड, बैल, गाय, सूअर, बिल्ली, गधा, ऊंट, बारहसिंघा तथा हिरण आदि जानवरों को भी पालते थे।
● गुजरात के कच्छ जिले में स्थित सुत्कान्गेडोर से घोड़े के हड्डियों के अवशेष मिले हैं। घोड़े की हड्डियों के यह अवशेष 1500 ईसा पूर्व के आसपास के समय में प्राप्त हुए हैं।
● हड़प्पा सभ्यता के लोग हाथी जैसे जानवर से भी परिचित है। कुछ जंगली पशुओं जैसे- नेवला, हिरण, बाघ, गैंडा, भालू, बंदर तथा खरगोश आदि जानवरों का भी ज्ञान सिंधु निवासियों को था। उनके इस ज्ञान का पता सिंधु घाटी सभ्यता से प्राप्त मुहरों और ताम्रपत्रों से पता चलता है जिस पर विभिन्न प्रकार के जानवरों के चित्र अंकित है।
व्यापार [Trade]
● सिंधु सभ्यता के लोग व्यापार भी करते थे उनका व्यापार विदेशों तक होता था। सिंधु निवासी कपड़ा बनाना और काटना अच्छी तरह से जानते थे। अमीर-गरीब सब कटाई का काम करते थे यहां के सूती कपड़ा बाहर भेजे जाता था।
● इनका व्यापार अफगानिस्तान, तुर्किस्तान, एलाम तथा मेसोपोटामिया आदि देशों से होता था।
● लोथल से डॉकयार्ड के अवशेष मिले हैं (डॉकयार्ड उस स्थान को कहते हैं जहां सामान लादने व उतारने के लिए बड़ी नाव या जहाज खड़ी की जाती है) जिससे यह पता चलता है कि सिंधु निवासी व्यापार के लिए नावों के इस्तेमाल करते थे तथा उनका व्यापार जलमार्ग द्वारा होता था।
● सिंधु सभ्यता में कच्चे माल का आयात होता था। दूसरे देशों से कच्चा माल हड़प्पा में आयात किया जाता था इसके लिए जलमार्गों का प्रयोग किया जाता था। दूरदर्शन से कच्चा माल साफ करने के लिए व्यापारिक केंद्रों के बाद सदस्य बनाई जाती गई थी गुजरात से सेलखड़ी प्राप्त करने के लिए तथा राजस्थान के खेतड़ी से तांबा प्राप्त करने के लिए बस्तियां स्थापित की गई थी। यहां से अधिकांश वस्तुएं तांबे की प्राप्त हुई है।
● इसके साथ ही हाथी दांत, जस्ता, सोना आदि का भी व्यापार होता था। जस्ता का व्यापार अफगानिस्तान तथा ईरान से जबकि सोने का व्यापार कर्नाटक (कोलार की खान) से होता था।
● लेन-देन के लिए सिक्कों या मुद्राओं का इस्तेमाल नहीं होता था। लेन-देन वस्तु विनिमय द्वारा होता था अर्थात एक वस्तु के बदले दूसरी वस्तु को लेना।
धातुएँ
● सिंधु प्रदेश के निवासी पत्थर, लकड़ी और विभिन्न प्रकार की धातुओं से परिचित थे। वे लोग सोने, चांदी, तांबे तथा जस्ता जैसे धातु के जेवरों का खूब इस्तेमाल करते थे परंतु सिंधु निवासियों को लोहे का ज्ञान नहीं था वह पूर्ण रूप से लोहे से अपरिचित थे।
● लोहे के साक्ष्य 1000 ईसा पूर्व में उत्तर वैदिक काल में अतरंजीखेड़ा (उत्तर प्रदेश) से प्राप्त हुआ है।
Read Part 1 – Indus Valley Civilization Important Points