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President of India | भारत के राष्ट्रपति – Hindi

संघीय कार्यपालिका: राष्ट्रपति

आज हम राष्ट्रपति के बारे में जानेंगे हम जानेंगे कि राष्ट्रपति कौन होता है? उसका निर्वाचन कैसे होता है? उसे कौन शपथ दिलाता है? उसे कैसे हटाया जा सकता है? उसकी सैलेरी कितनी होती है? और उसे कौन-कौन सी शक्तियां दी गई हैं?

 

Who is President? (राष्ट्रपति कौन होता है?) – Article 52

भारतीय संघ की कार्यपालिका के प्रधान को राष्ट्रपति कहा जाता है। वह देश का प्रथम नागरिक होता है तथा उनकी पत्नी प्रथम लेडी होती हैंअनुच्छेद 52 कहता है कि भारत का एक राष्ट्रपति होगा तथा अनुच्छेद 53 कहता है कि संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित होगी। वह इस शक्ति का प्रयोग संविधान के अनुसार स्वयं या फिर अपने अधीनस्थ अधिकारी द्वारा करेगा।

भारत में ब्रिटेन जैसी संसदात्मक व्यवस्था को अपनाया गया है अर्थात यहां नाममात्र की कार्यपालिका और वास्तविक कार्यपालिका में अंतर पाया जाता है। भारत का राष्ट्रपति देश की नाममात्र की कार्यपालिका होती है जबकि वास्तविक कार्यपालिका शक्ति प्रधानमंत्री में निहित होती है। देश में किए जाने वाले सभी महत्वपूर्ण कार्य राष्ट्रपति के नाम से किए जाते हैं और सभी महत्वपूर्ण निर्णय उसके ही माने जाते हैं।

वह देश की सेना (जल, थल, वायु) का प्रधान सेनापति होता है तथा उनका संचालन करता है। राष्ट्रपति देश के प्रमुख पदाधिकारियों जैसे राज्यपाल, सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एवं अन्य न्यायाधीश, महान्यायवादी, प्रधानमंत्री एवं अन्य मंत्री तथा संघीय लोक सेवा आयोग आदि अधिकारियों की नियुक्ति करते हैं।

कार्यपालिका के प्रधान का यह नाम अमेरिकी संविधान के समान है लेकिन भारतीय राष्ट्रपति के कार्य व शक्तियां अमेरिकी राष्ट्रपति के स्थान पर ब्रिटिश सम्राट जैसी है।

 

Presidential Election (राष्ट्रपति का निर्वाचन)अनुच्छेद 54-55

राष्ट्रपति के निर्वाचन से संबंधित सभी पद्धतियां एवं कार्य अनुच्छेद 54 और अनुच्छेद 55 में दिए गए हैं।

भारत के राष्ट्रपति का निर्वाचन अप्रत्यक्ष रूप से एकल संक्रमणीय मत पद्धति के आधार पर होता है। राष्ट्रपति का निर्वाचन एक निर्वाचक मंडल द्वारा होता है। इस निर्वाचक मंडल में संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के निर्वाचित सदस्य तथा राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं।

70वें संविधान संशोधन अधिनियम 1992 के द्वारा दिल्ली और पुडुचेरी की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों को भी राष्ट्रपति के चुनाव में शामिल किया गया है। राष्ट्रपति के चुनाव में मनोनीत सदस्य तथा विधान परिषद के सदस्यों को भाग लेने का अधिकार नहीं होता है।

 

Single Transferable Vote System (एकल संक्रमणीय मत पद्धति)

राष्ट्रपति के निर्वाचन में संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य तथा राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभा के निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं राष्ट्रपति के निर्वाचन एक निर्वाचक मंडल द्वारा होता है यह निर्वाचन अप्रत्यक्ष रूप से आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय मत पद्धति के द्वारा  होता है। निर्वाचन गुप्त मतपत्र द्वारा होते हैं तथा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए उम्मीदवारों को न्यूनतम कोटा  प्राप्त करना होता है न्यूनतम कोटा प्राप्त करने का सूत्र इस प्रकार है।

 

न्यूनतम कोटा =

दिए गए मतों की संख्या / निर्वाचित होने वाले प्रतिनिधियों की संख्या + 1

 

राष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए न्यूनतम कोटा की व्यवस्था इसलिए की गई है ताकि राष्ट्रपति जैसे बड़े पद के लिए उम्मीदवारों को स्पष्ट बहुमत प्राप्त हो और वह इस पद के लिए सम्मान के पात्र हो।

न्यूनतम कोटा पद्धति में मतदाता को अपने मतपत्र में उतनी ही पसंद व्यक्त करनी होती है जितनी की संख्या में राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार होते हैं। जैसे यदि राष्ट्रपति के पद के लिए 4 उम्मीदवार हैं तो मतदाता को अपनी पसंद के हिसाब से उन चारों को मत देना होगा। सर्वप्रथम वह अपनी पहली पसंद के उम्मीदवार के सामने पहली पसंद प्रस्तुत करता है इसके बाद दूसरी, तीसरी और चौथी पसंद को चुनता है।

इसी तरह से राष्ट्रपति के चुनाव की जब गणना की जाती है तो सर्वप्रथम पहली पसंद या प्रथम वरीयता (Frist Preferenc) के मत की गणना की जाती है। यदि पहली पसंद से ही उम्मीदवार को न्यूनतम कोटा हासिल हो जाता है तो आगे की पसंद या वरीयता की गणना नहीं की जाती। परंतु यदि पहली पसंद के उम्मीदवार को चुनावी कोटा हासिल नहीं होता है तो उसके बाद दूसरी वरीयता (Second Preference) की गणना की जाती है और ऐसा तब तक किया जाता है जब तक की उम्मीदवार को न्यूनतम कोटा हासिल ना हो जाए।

 

Value of Votes (मतों का मूल्य)

भारत के राष्ट्रपति का निर्वाचन एक निर्वाचक मंडल द्वारा होता है जिसमें संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य तथा राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं। अतः राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेने वाले सदस्यों के मतों का भी मूल्य होता है  जिसके आधार पर राष्ट्रपति का निर्वाचन होता है। सदस्यों के मतों का मूल्य इस प्रकार है।

विधानसभा के सदस्यों के मतों का मूल्य

= राज्य की जनसंख्या / राज्य की विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों की संख्या ÷ 1000

 

संसद के निर्वाचित सदस्यों के मतों का मूल्य

= सभी निर्वाचित विधानसभा सदस्यों के मत का कुल मान / निर्वाचित संसद सदस्यों की कुल संख्या

 

इस प्रकार मतों के मूल्यों के आधार पर राष्ट्रपति के चुनाव की गणना की जाती है। यदि प्रथम वरीयता(Frist Preferenc) के मतों की गणना में किसी उम्मीवार को जीत के लिए 50% से अधिक मत नहीं मिलते तो द्वितीय वरीयता(Second Preference) के मतों की गणना की जाती है और उसके ही आधार पर चुनाव का निर्णय किया जाता है।

 

Term of President (राष्ट्रपति का कार्यकाल)अनुच्छेद 56

राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष  का होता है। मृत्यु, त्यागपत्र और महाभियोग की प्रक्रिया के द्वारा यदि राष्ट्रपति का पद रिक्त हो जाता है तो, जो नया राष्ट्रपति चुना जाता है वह 5 वर्ष की अवधि के लिए ही चुना जाता है न की शेष अवधि के लिए। कहने का तात्पर्य है कि यदि किसी राष्ट्रपति की मृत्यु अपने कार्यकाल को पूरा करने के 2 वर्ष पहले ही हो जाती है तो जो नया राष्ट्रपति चुना जाएगा वह 5 वर्ष के लिए ही चुना जाएगा ना कि शेष अवधि के लिए।

यदि किसी कारणवश राष्ट्रपति का पद रिक्त हो जाए तो नए राष्ट्रपति के चुनाव तक तथा नए राष्ट्रपति के चुने जाने तक इस पद पर उपराष्ट्रपति द्वारा कार्यभार संभाला जाएगा और यदि किसी कारणवश उपराष्ट्रपति भी अनुपस्थित हो तो उस पद का कार्यभार सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा संभाला जाएगा।

 

Qualification for the President (राष्ट्रपति पद की योग्यताएं) – Article 58)

राष्ट्रपति बनने के लिए उम्मीदवारों के पास निम्न योग्यताएं होनी चाहिए-

  1. राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार भारत का नागरिक होना चाहिए
  2. उम्मीदवार की उम्र 35 वर्ष से अधिक होनी चाहिए
  3. वह लोकसभा का निर्वाचित सदस्य होने की योग्यता रखता हो

इसके अतिरिक्त कोई भी ऐसा व्यक्ति जो भारत सरकार, राज्य सरकार एवं स्थानीय सरकार के अंतर्गत किसी लाभ के पद पर हो, वह इस पद का उम्मीदवार नहीं हो सकता। भारत का राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) और राज्य विधानमंडल में से किसी का भी सदस्य होता नहीं होता है। यदि वह राष्ट्रपति बनने से पहले इनका सदस्य होता है तो उसके राष्ट्रपति निर्वाचित होने की तारीख से ही उसका पद उस सदन से रिक्त समझा जाता है जिसका वह सदस्य होता है। राष्ट्रपति अपने कार्यकाल में कोई अन्य वेतनभोगी पद नहीं ग्रहण कर सकता। व्यवहार में इस पद पर केवल वही व्यक्ति निर्वाचित हो सकेगा, जिसे देश में बहुत अधिक सम्मान प्राप्त हो।

 

Oath of President (राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण) – Article 60)

राष्ट्रपति अपना पद ग्रहण करने से पूर्व सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष संविधान एवं कानून के संरक्षण के शपथ ग्रहण करता।

 

Impeachment on President (राष्ट्रपति पर महाभियोग) – Article 61)

राष्ट्रपति को उसके पद से हटाने के लिए महाभियोग प्रक्रिया का प्रतिपादन किया गया है परंतु राष्ट्रपति को केवल संविधान का उल्लंघन किए जाने पर ही पद से हटाया जा सकता है इसके अतिरिक्त उसे किसी भी प्रकार से नहीं हटाया जा सकता।

जब राष्ट्रपति संविधान का उल्लंघन करता है तो उस पर महाभियोग प्रक्रिया लगाया जाता है। महाभियोग प्रक्रिया लगाने का अधिकार संसद के दोनों सदनों को है लोकसभा और राज्यसभा दोनों में से कोई भी यह प्रक्रिया शुरू कर सकता हैं। लेकिन इसके लिए यह आवश्यक है कि महाभियोग लगाने से 14 दिन पहले सूचना दी जाए तथा अभियोग लगाने वाले प्रस्ताव पर अभियोग लगाने वाले सदन के ¼ बहुमत से प्रस्ताव पारित किया गया हो।

यदि अभियोग का प्रस्ताव सदन कि कुल सदस्य संख्या के ⅔ बहुमत से पास हो जाता है तो यह प्रस्ताव दूसरे सदन में भेज दिया जाता है। दूसरा सदन इस प्रस्ताव की जांच करता है। इस समय राष्ट्रपति स्वयं उपस्थित होकर या फिर अपने अधीनस्थ अधिकारी द्वारा अपना पक्ष रख सकते हैं और अपने बचाव में बोल सकता है परंतु यदि राष्ट्रपति पर लगाए गए आरोप सही सिद्ध होते है और दूसरा सदन भी अपनी सदस्य संख्या के ⅔ बहुमत से अभियोग के प्रस्ताव को पास कर देता है तो उसी दिन से राष्ट्रपति का पद रिक्त समझा जाता है और राष्ट्रपति को त्यागपत्र देना पड़ता है।

 

Salary and Allowances of President (राष्ट्रपति की सैलेरी एवं भत्ते) – Article 59

राष्ट्रपति को ₹500000 प्रति माह सैलेरी मिलती है राष्ट्रपति के वेतन पर टैक्स नहीं लगता है इसके अतिरिक्त उन्हें नि:शुल्क आवास और संसद द्वारा निर्धारित की गई सभी सेवाएं मिलती है। सेवानिवृत्ति के बाद राष्ट्रपति को 1800000 रुपए  वार्षिक  पेंशन दी जाती है। अनुच्छेद 59 के अनुसार राष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान उनकी सैलेरी और भत्ते में किसी प्रकार की कमी नहीं की जा सकती है।

तो आज हमने राष्ट्रपति, उसके कार्यकाल और उसके ऊपर लगाए जाने वाले महाभियोग प्रक्रिया के बारे में जाना है। अब आगे हम राष्ट्रपति की शक्तियों के बारे में जानेंगे। हम जानेंगे की राष्ट्रपति के पास कौन कौन सी शक्तियां होती है। तब तक के लिए आप अपनी तैयारी करते रहिये। हम आपके लिए ऐसे ही study  से related articles  लाते रहेंगे।

 

Also Study – Preamble of Constitution