Rights Against Exploitation

Right Against Exploitation | शोषण के विरुद्ध अधिकार

शोषण के विरुद्ध अधिकार

(Right Against Exploitation)

आज हम मौलिक अधिकार के तीसरे महत्वपूर्ण अधिकार शोषण के विरुद्ध अधिकार (Right Against Exploitation) के बारे में पढ़ने वाले हैं हम जानेंगे कि शोषण के विरुद्ध अधिकार (Right Against Exploitation) महत्वपूर्ण क्यों है और इसके अंतर्गत हमें कौन-कौन से अधिकार दिए गए हैं।

Right Against Exploitation (शोषण के विरुद्ध अधिकार)

शोषण के विरुद्ध अधिकार  का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है प्राचीन काल से ही भारत में दासता की प्रथा किसी-न-किसी रूप में विद्यमान रही है जिसके द्वारा मजदूरों और किसानों का शोषण किया जाता रहा है।

इसी तरह देवदासी प्रथा के द्वारा स्त्रियों का शोषण होता रहा है। इन सब बुराइयों को देखते हुए ही उन्हें खत्म करने के लिए संविधान द्वारा कई कानून बनाए गए और नागरिकों को इनसे लड़ने के लिए अधिकार दिए गए हैं।

शोषण के विरुद्ध अधिकार (Right Against Exploitation) बेगार प्रथा, सूदखोरी और देवदासी प्रथा के विरुद्ध एक महत्वपूर्ण निर्णय है जो कि नागरिकों को शोषित होने से बचाती है और उन्हें जीवन जीने के लिए अधिकार देती है।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 23 और 24 के द्वारा नागरिकों को शोषण के विरुद्ध अधिकार (Right Against Exploitation) प्रदान किया गया है जिसके अंतर्गत नागरिकों को दो प्रकार की स्वतंत्रता दी गई हैं–

1. मानव तस्करी तथा बंधुआ मजदूरी पर रोक(Human Trafficking and Bonded Labor) – अनुच्छेद 23
2. बच्चों को खतरनाक उद्योगों और कारखानों में कार्य करने पर निषेध (Prohibition on Children Working in Hazardous Industries and Factories) – अनुच्छेद 24

Human Trafficking and Bonded Labor (मानव तस्करी तथा बंधुआ मजदूरी पर रोक)

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 23 के द्वारा मानव तस्करी और बंधुआ मजदूरी अर्थात बलात श्रम पर रोक लगा दी गई है जिसका उल्लंघन करना संविधान के अनुसार दंडनीय अपराध है।

यह अधिकार देश के नागरिक और गैर-नागरिकों दोनों को भी प्राप्त होंगे। संविधान के द्वारा इस तरह के किसी भी कृत्यों के लिए लोगों को दंडित करने के लिए संसद द्वारा अनैतिक दुर्व्यापार (निवारण) अधिनियम 13, 1956 लागू किया गया है।

Prohibition on Children Working in Hazardous Industries and Factories (बच्चों को खतरनाक उद्योगों और कारखानों में कार्य करने पर निषेध)

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 24 के द्वारा 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को खतरनाक और जोखिम भरे कामों पर कार्य करने के लिए नियुक्त नहीं किया जा सकता।

अनुच्छेद 24 के अंतर्गत केवल खतरनाक कार्यों में बच्चों के काम करने पर रोक लगाई गई है जबकि बाल मजदूरी निषेध कानून (Child Labor Prohibition Law) के द्वारा बच्चों के सभी प्रकार के मजदूरी पर रोक लगाई गई है।

बाल श्रम रोकने के लिए बाल श्रम अधिनियम 1986 (Child Labor Act 1986) और बाल श्रम संशोधन अधिनियम 2016 (Child Labor Amendment Act 2016) लागू किया गया है जो कि महत्वपूर्ण अधिनियम है।

आज हमने शोषण के विरुद्ध अधिकार के बारे में जाना है तथा इसके अंतर्गत दिए गए अनुच्छेदों के बारे में जाना है अब आगे हम मौलिक अधिकार के अन्य महत्वपूर्ण अधिकारों के बारे में जानेंगे तब तक आप अपनी तैयारी करते रहें हम आपके लिए ऐसे ही study से related post लाते रहेंगे।

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