Right to Freedom | स्वतंत्रता के अधिकार
स्वतंत्रता का अधिकार (Right to Freedom)
आज हम मौलिक अधिकार के दूसरे महत्वपूर्ण अधिकार स्वतंत्रता के अधिकार (Right to Freedom) के बारे में पढ़ने वाले हैं। मौलिक अधिकारों में स्वतंत्रता का अधिकार बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इसके द्वारा ही नागरिकों को विशेष रूप से स्वतंत्रता दी जाती है।
स्वतंत्रता के अधिकार (Right to Freedom) के अंतर्गत ही नागरिकों को वे सभी अधिकार दिए गए हैं जिसके द्वारा वह स्वतंत्र रूप से जीवन व्यतीत करते हैं मौलिक अधिकारों में स्वतंत्रता के अधिकार का महत्वपूर्ण स्थान है। तो चलिए जानते हैं की स्वतंत्रता का अधिकार (Right to Freedom) क्या है और इसके अंतर्गत हमें कौन-कौन से अधिकार दिए गए हैं।
Right to Freedom (स्वतंत्रता का अधिकार)
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 से 22 तक स्वतंत्रता के अधिकार (Right to Freedom) का उल्लेख किया गया है इसके अंतर्गत नागरिकों को विभिन्न प्रकार की स्वतंत्रता दी गई है। अनुच्छेद 19 के अंतर्गत नागरिकों को छह प्रकार की स्वतंत्रता दी गई है पहले अनुच्छेद 19 के अंतर्गत कुल 7 प्रकार की स्वतंत्रता थी परंतु सातवीं स्वतंत्रता जो कि संपत्ति की स्वतंत्रता थी को हटा दिया गया इस प्रकार अब अनुच्छेद 19 के अंतर्गत नागरिकों को छह प्रकार की स्वतंत्रता प्राप्त है यह स्वतंत्रता इस प्रकार है –
1. विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of Thought Expression)
2.समुदाय व संघ बनाने की स्वतंत्रता (Freedom to form Communities and Associations)
3. भ्रमण की स्वतंत्रता (Freedom to Travel)
4. निवास की स्वतंत्रता (Freedom of Residence)
5. व्यवसाय की स्वतंत्रता (Freedom of Business)
6. शांतिपूर्वक एवं बिना युद्ध के सम्मेलन करने की स्वतंत्रता (Freedom to Assembly Peacefully without war)
1. Freedom of Thought Expression (विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) अनुच्छेद 19 -1(क)
भारत के सभी नागरिकों को विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गई है इस स्वतंत्रता के अंतर्गत सभी नागरिकों को अधिकार है कि वह अपने विचारों को व्यक्त कर सकते हैं इसके साथ ही वह दूसरों के विचारों को भी व्यक्त कर सकते हैं। इसके अंतर्गत भाषण देना, सार्वजनिक विचार विमर्श, सभा आदि शामिल होते है। प्रेस यानी मीडिया भी विचारों के प्रचार का एक साधन होने के कारण विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत ही आते हैं।
2. (Freedom to Assembly Peacefully without War (शांतिपूर्वक एवं बिना युद्ध के सम्मेलन करने की स्वतंत्रता) अनुच्छेद 19 -1(ख)
भारत के नागरिकों को इस बात की भी स्वतंत्रता है कि वह शांतिपूर्वक और बिना किसी युद्ध सामग्री के सम्मेलन कर सकते हैं इसके साथ ही वह जुलूस या प्रदर्शन जैसे कार्यक्रमों का आयोजन भी कर सकते हैं। परंतु उनकी यह स्वतंत्रता पूर्ण रूप से असीमित नहीं है राज्य सामाजिक हित को देखते हुए उनके इस तरह के कार्यों को प्रतिबंधित भी कर सकती है।
3. Freedom to form Communities and Associations (समुदाय व संघ बनाने की स्वतंत्रता) अनुच्छेद 19 -1(ग)
भारत के सभी नागरिकों को अधिकार है कि वह अपनी इच्छा अनुसार समुदाय एवं संघ बना सकते हैं अर्थात उन्हें समुदाय भवन निर्माण की स्वतंत्रता दी गई है। परंतु यह भी कहा गया है कि इस स्वतंत्रता के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति ऐसे किसी भी संघ या समुदाय का निर्माण नहीं कर सकता जो कि षड्यंत्र करते हो या किसी को नुकसान पहुंचाते हो। सार्वजनिक शांति को भंग करने वाले समुदाय एवं संघों के निर्माण पर भी रोक है।
4. Freedom to Travel (भ्रमण की स्वतंत्रता) अनुच्छेद 19 – 1(घ)
भारत के सभी नागरिकों को यह अधिकार है की वह भारत के किसी भी क्षेत्र में घूम सकते हैं अर्थात भ्रमण कर सकते हैं। किसी भी नागरिक को इस स्वतंत्रता से रोका नहीं जा सकता उनकी इस स्वतंत्रता को प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता।
5. Freedom of Residence (निवास की स्वतंत्रता) अनुच्छेद 19 – 1(ङ)
भारत के प्रत्येक नागरिक को भारत में कही भी भ्रमण करने और कहीं पर भी बस जाने की स्वतंत्रता है। इसके लिए उन्हें पूर्ण रूप से स्वतंत्रता दी गई है वह जहां चाहे वहां निवास कर सकते हैं अर्थात वह भारत के किसी भी क्षेत्र में निवास कर सकते हैं। परंतु इसमें राज्य जनता के हित के लिए उन पर प्रतिबंध लगा सकता हैं।
6. Freedom of Business (व्यवसाय की स्वतंत्रता) अनुच्छेद 19 – 1(च)
भारत के प्रत्येक नागरिक को अपनी आजीविका के लिए कोई भी व्यवसाय करने की स्वतंत्रता है अर्थात उन्हें यह स्वतंत्रता है कि अपनी आजीविका के लिए वह कोई भी पेशा अपना सकते हैं उन्हें ऐसा करने से नहीं रोका जा सकता।
Protection in Respect of Conviction for Offences (अपराध की दोष सिद्धि के विषय में संरक्षण) अनुच्छेद 20
अनुच्छेद 20 के द्वारा अपराधी बनाए जाने वाले व्यक्ति को दोष सिद्धि के संबंध में कुछ स्वतंत्रता दी गई है इसके अंतर्गत किसी व्यक्ति को उस समय तक अपराधी नहीं ठहराया जा सकता जब तक उसने अपराध के समय में लागू किसी कानून का उल्लंघन ना किया हो। इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि किसी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए एक बार से अधिक दंड नहीं दिया जा सकता तथा उसे स्वयं के विरुद्ध गवाही देने के लिए भी बात नहीं किया जा सकता।
प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता (Life and Personal Liberty) अनुच्छेद 21
अनुच्छेद 21 के द्वारा नागरिकों को जीवन के अधिकार की स्वतंत्रता दी गई है। इसके अंतर्गत कहा गया है कि किसी व्यक्ति को जीवन एवं दैहिक स्वतंत्रता से विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अतिरिक्त अन्य किसी प्रकार से वंचित नहीं किया जा सकता।
अनुच्छेद 21 (क)
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 (क) शिक्षा के अधिकार से संबंधित है। 86 वा संविधान संशोधन 2002 के द्वारा भारतीय संविधान में एक नया अनुच्छेद 21 (क) जोड़ा गया है जिसके अनुसार राज्य 6 से 14 वर्ष तक की आयु के बच्चों के लिए निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था करेगी।
Protection Against Arrest and Detention in Certain Cases (कुछ मामलों में गिरफ्तारी और नजरबंदी के खिलाफ संरक्षण) अनुच्छेद 22
अनुच्छेद 22 के द्वारा बंदी बनाए जाने वाले व्यक्ति को कुछ अधिकार दिए गए हैं। इनमें कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति को अपराध के कारणों को बताए बिना अर्थात बंदी बनाने के कारणों को बताए बिना अधिक समय तक गिरफ्तार नहीं किया जा सकता, उन्हें अधिक समय तक बंदीग्रह में नहीं रखा जा सकता।
इसके साथ ही उन्हें यह भी स्वतंत्र है कि वह अपने वकील से विचार-विमर्श कर सकते हैं तथा अपने बचाव में उन्हें कहने का भी अधिकार दिया गया है। बंदी बनाए गए व्यक्ति को 24 घंटे के अंदर निकटतम न्यायालय में पेश करना भी आवश्यक होता है। परंतु अनुच्छेद 22 में दी गई स्वतंत्रताएं शत्रु देश के निवासियों पर तथा निवारक निरोध अधिनियम के अंतर्गत गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों पर लागू नहीं होती अर्थात इस तरह की स्वतंत्रता नहीं दी गई है।
तो दोस्तों आज हमने मौलिक अधिकार के एक बहुत ही महत्वपूर्ण अधिकार स्वतंत्रता के अधिकार के अधिकार के बारे में पढ़ा है अब आगे हमअन्य अधिकार के बारे में पढ़ेंगे तब तक के लिए आप अपनी तैयारी जारी रखें हम आपके लिए ऐसे ही study से related post लाते रहेंगे।
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