Vedic Civilization: Early and Later Vedic Civilization – One Liner
वैदिक कालीन सभ्यता से संबंधित महत्वपूर्ण पॉइंट
वैदिक काल को दो भागों में बांटा गया है पहला, ऋग्वैदिक काल या पूर्व वैदिक काल तथा दूसरा, उत्तर वैदिक काल।
ऋग्वैदिक काल या पूर्व वैदिक काल [Early Vedic Period]
● ऋग्वैदिक काल या पूर्व वैदिक काल के बारे में जानकारी हमें ऋग्वेद से मिलती है।
●ऋग्वैदिक काल 1500 से 1000 ईसा पूर्व तक माना जाता है।
● ऋग्वेद में मंत्रों का उल्लेख किया गया है।
●विश्वामित्र द्वारा रचित प्रसिद्ध गायत्री मंत्र ऋग्वेद में ही दिया गया है।
● गायत्री मंत्र का उल्लेख ऋग्वेद के तीसरे मंडल में है
●ऋग्वेद सबसे प्राचीन वेद है।
●ऋग्वेद के सातवें मंडल में दसराज्ञ युद्ध का उल्लेख है। यह युद्ध रावी नदी के तट पर सुदास एवं दस जनों के बीच लड़ा गया था जिसमें सुदास विजय हुआ था।
● ऋग्वैदिक समाज चार वर्णों में विभाजित था। यह चार वर्ण- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शुद्र थे। वर्ण विभाजन पर आधारित यह व्याख्या ऋग्वेद के दसवें मंडल से मिलती है।
●ऋग्वेद के दसवें मंडल में पुरुष सूक्त का उल्लेख है। जिसके अनुसार 4 वर्ण ब्रह्मा के शरीर से निकले हैं जिसमें ब्राह्मण ब्रह्मा के मुख से, क्षत्रिय उनकी भुजाओं से, वैश्य उनकी जांघों से तथा शुद्र उनके पैरों से उत्पन्न हुए है।
● आर्यों के प्रिय देवता इंद्र थे। ऋग्वेद में इंद्र को पुरंदर कहा गया है। जिसके लिए ऋग्वेद में 250 सूक्तियां दी गयी है। वरुण को ऋतस्यगोपा कहा गया है।
● ऋग्वेद में सर्वाधिक पवित्र नदी सरस्वती को नदीतमा कहां गया है।
● सत्यमेव जयते मुंडकोपनिषद से तथा असतो मा सद्गमय ऋग्वेद से लिया गया है।
● ऋग्वैदिक काल में स्त्रियों की दशा अच्छी थी। इस समय हमें अनेक विदुषी महिलाओं का उल्लेख मिलता है।
●ऋग्वेद में लोपामुद्रा, घोषा, आपला एवं विश्ववारा जैसी विदुषी स्त्रियों का वर्णन है। गार्गी ने याज्ञवलक्य को वाद विवाद की चुनौती दी थी।
उत्तर वैदिक काल [Later Vadic Period]
● उत्तर वैदिक काल 1000 से 600 ईसा पूर्व तक माना जाता है
●इस काल में अन्य तीन वेद जैसे सामवेद, यजुर्वेद, और अथर्ववेद की रचना की गई।
● सामवेद से हमें प्राचीन काल के गीतों का उल्लेख मिलता है। संगीत के बारे में सर्वप्रथम जानकारी सामवेद से प्राप्त होती है। यज्ञों तथा पूजा पाठ के अवसर पर गाए जाने वाले गीत या संगीत का उल्लेख सामवेद से ही प्राप्त होता है।
● यज्ञ से संबंधित कार्यों के बारे में जानकारी हमें यजुर्वेद से प्राप्त होती है। यजुष का अर्थ ‘यज्ञ‘ होता है अर्थात यज्ञि कार्यों का उल्लेख यजुर्वेद में किया गया है।
● अथर्ववेद वेदों में सबसे आखरी वेद है। अथर्वा नामक ऋषि के नाम पर इसे अथर्ववेद कहा जाता है।
●अथर्ववेद में कुल 731 मंत्र हैं। इस वेद से हमें तंत्र मंत्र, जादू टोना, वशीकरण, आशीर्वाद आदि विषय से संबंधित मंत्रों के बारे में जानकारी मिलती है।
●अथर्ववेद सबसे आखिरी वेद है।
● उत्तर वैदिक काल में भी वर्ण व्यवस्था का उल्लेख था परंतु इस समय शुद्रो की स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई थी। उनका उपनयन संस्कार बंद कर दिया गया था अर्थात। उन्हें शिक्षा से वंचित कर दिया गया था।
●उत्तर वैदिक काल में स्त्रियों की दशा में बदलाव आया। स्त्रियों का उपनयन संस्कार बंद कर दिया गया।
● उत्तर वैदिक काल में हमें आश्रम व्यवस्था का भी उल्लेख मिलता है जो कि चार भागों में विभाजित था जो क्रमश: ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और सन्यास में विभाजित था। यह विभाजन आयु पर आधारित था।
● उत्तर वैदिक काल में प्रजापति प्रमुख देवता के रूप में माने जाते थे।
● उत्तर वैदिक काल में हल को सिरा तथा हल रेखा को सीता कहा जाता था।
● उत्तर वैदिक कालीन जानकारी का स्रोत महाकाव्य भी माने जाते हैं महाकाव्य दो है- महाभारत और रामायण।
● महाभारत का पुराना नाम जयसंहिता है। यह विश्व का सबसे बड़ा महाकाव्य है।
● गोत्र नामक संस्था का जन्म उत्तरवैदिक काल में हुआ।
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